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प्राकृतिक चिकित्सा में होम्योपैथी एक मजबूत स्तंभ-डॉ सुमित पुन्याल। 

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प्राकृतिक चिकित्सा में होम्योपैथी एक मजबूत स्तंभ-डॉ सुमित पुन्याल। 

 

राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस 2024 के अवसर पर हमीरपुर के होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ सुमित पुन्याल ने अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद एवं सर्वोदय इंस्टिट्यूट ऑफ नेचुरल साइंस धर्मशाला के सहयोग से राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस 2024 द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन 18 नवंबर को सर्वोदय इंस्टिट्यूट ऑफ नेचुरल साइंस धर्मशाला में किया गया,जिस में प्रदेश के अलग अलग जिलों से आए प्राकृतिक चिकित्सकों ने अपने अनुभव साझा किए। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवा निवृत्त खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ संजय भारद्वाज जी उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता डॉ सुमित पुन्याल, डॉ अशोक भारद्वाज, डॉ रमा सूद, डॉ दिनेश आदि ने प्राकृतिक चिकित्सा की उपयोगिता पर प्रकाश डाला.
डॉ पुन्याल ने प्रमुखता से प्राकृतिक चिकित्सा में होम्योपैथी के योगदान पर प्रकाश डाला। प्राकृतिक चिकित्सा में होम्योपैथी का महत्व अत्यधिक है। यह एक वैज्ञानिक पद्धति है जो रोग के कारणों को समझकर शरीर के भीतर से उपचार की प्रक्रिया को सक्रिय करती है। होम्योपैथी का सिद्धांत “समानता के नियम” पर आधारित है, अर्थात् यह इलाज शरीर में मौजूद रोग के कारणों के अनुसार किया जाता है। यह पद्धति शरीर के आत्म-उपचार क्षमता को बढ़ाती है और बिना किसी गंभीर दुष्प्रभाव के रोगों का उपचार करती है।
होम्योपैथी का एक प्रमुख लाभ यह है कि यह पुरानी बीमारियों के इलाज में भी प्रभावी होती है। इसके अलावा, यह दवाएं पूरी तरह से प्राकृतिक घटकों से बनाई जाती हैं, जिससे कोई भी हानिकारक रासायनिक प्रभाव नहीं होता।
भारत में होम्योपैथी को एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में अपनाया गया है और इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। इसके बारे में अधिक जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न राज्य सरकारें और निजी संस्थाएँ कार्य कर रही हैं।
आज के समय में, जब लोग दवाओं के दुष्प्रभावों से बचना चाहते हैं, होम्योपैथी एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प के रूप में उभरकर सामने आई है। प्राकृतिक चिकित्सा में होम्योपैथी का स्थान एक मजबूत स्तंभ के रूप में स्थापित हो चुका है।
डॉ पुन्याल ने स्वास्थ्य के महत्व और प्राकृतिक चिकित्सा के लाभों पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में प्राकृतिक चिकित्सा एक प्रभावी और सुलभ उपाय है, जिससे हम न केवल बीमारियों से बच सकते हैं, बल्कि एक संतुलित और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
डॉ. पुन्याल ने कहा, “प्राकृतिक चिकित्सा में प्रकृति के सिद्धांतों के आधार पर शरीर को ठीक करने की शक्ति है। यह उपचार विधि शरीर, मन और आत्मा का संतुलन बनाए रखने पर जोर देती है।” उन्होंने यह भी बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा में योग, ध्यान, संतुलित आहार और प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का विशेष महत्व है।
इस सेमिनार में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े लोग व संस्थान के छात्र शामिल हुए।
कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि सेवा निवृत्त खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ संजय भारद्वाज ने होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ सुमित पुन्याल को गेस्ट ऑफ आनर से सम्मानित किया । डॉ संजय भारद्वाज ने डॉ पुन्याल द्वारा किए जा रहे होम्योपैथी के क्षेत्र में व सामजिक कार्यों में किए जा रहे कार्यो की सराहना की व भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी।
संस्थान के निदेशक डॉ सुरेन्द्र ठाकुर ने सभी अतिथियों का आभार जताया और अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद नई दिल्ली के सिद्धांतों का प्रतिपादन करते हुए सहयोग की अपील की।

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