5 बीघा तक अवैध कब्ज़ों को नियमित करने के लिए करे आवेदन।
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5 बीघा तक अवैध कब्जे को नियमित करने के लिए दो हफ्ते में करें आवेदन।
न्यूज़ टुडे हिमाचल बीयूरो।
शिमला:12 अक्टूबर: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश पारित किया है कि वन भूमि पर पांच बीघा जमीन पर अवैध कब्जे को नियमित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नीति को ध्यान में रखते हुए आदेश जारी कर कहा है कि प्रार्थियों ने यदि उक्त नीति के अनुसार अपने अवैध कब्जों को नियमित करने के लिए आवेदन दाखिल नहीं किया है तो वह दो हफ्ते के भीतर आवेदन करें। अदालत ने अथॉरिटी को 4 महीनों में उक्त आवेदनों पर निर्णय लेने के आदेश भी दिए हैं।हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत व न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने कुल्लू जिला में मनाली तहसील के चमन लाल, सरवन कुमार, तेजू राम, हुकम राम व दौलत राम की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किए. प्रार्थियों ने अपनी याचिका में कहा था कि उनके पिता सुखराम की मौत के बाद उनके हिस्से में लगभग अढ़ाई-अढ़ाई बीघा जमीन हिस्से में आई है। हिमाचल प्रदेश भूमि राजस्व अधिनियम 1954 और राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नीति के मुताबिक वे अवैध कब्जों के तौर पर 5 -5 बीघा सरकारी वन भूमि को नियमित करवाने का हक रखते हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने अवैध कब्जों को नियमित करने के विषय में यह आदेश जारी किए हैं कि अगर कोई व्यक्ति वन भूमि पर अवैध कब्जा करता है तो सरकार 5 बीघा तक उस कब्जे को नियमित करने के लिए विचार कर सकती है, लेकिन उसकी अपनी जमीन व अवैध कब्जे में ली गई जमीन 10 बीघा से अधिक नहीं होनी चाहिए। यहां बताते चले कि हिमाचल में हजारों बीघा सरकारी वन भूमि पर लोगों ने अवैध अतिक्रमण कर बागीचे विकसित किए हैं।
जुब्बल के एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि कई लोगों ने सैंकड़ों बीघा जमीन कब्जाई है और वहां पक्के मकान आदि बनाकर बागीचे भी विकसित कर लिए हैं. उसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक-एक ईंच सरकारी वन भूमि से अवैध कब्जा हटाने के लिए आदेश जारी किए थे. बाद में छोटे व सीमांत बागवानों ने आवाज उठाई और सरकार ने अध्यादेश के जरिए विधानसभा में नीति बनाकर पांच बीघा जमीन तक अवैध कब्जे नियमित करने का फैसला लिया था।
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