सनी लियोनी की इस फिल्म से दक्षिण भारत में मचा बवाल, जानें वजह|
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सनी लियोनी की इस फिल्म से दक्षिण भारत में मचा बवाल, जानें वजह|
न्यूज़ टुडे हिमाचल | 25 अक्तूबर|
- सनी लियोनी फिर विवादों में हैं. इस बार उनके नए अवतार पर दर्शकों का गुस्सा उतरा है. विरोध करने वाले लोगों ने सनी के नए प्रोजेक्ट को संस्कृति का हनन बताया है. वे जल्द ही तेलुगू मूवी ‘वीरामहादेवी’ में बतौर लीड एक्टर नजर आने वाली हैं. और फिल्म में वीरमहादेवी बनी सनी को लेकर विरोध की आंच तेज हो गई है.
कर्नाटक के सामाजिक संगठन कर्नाटक रक्षणा वेदिके ने फिल्म का विरोध करते हुए फिल्म के पोस्टर्स जलाए. संगठन राज्य में सनी के प्रवेश और कन्नड़ फिल्म में उनके रोल को लेकर नाराजगी जता रहा है.
कर्नाटक के लोग इस बात से नाराज हैं कि किसी जमाने में पोर्न स्टार रह चुकी सनी कैसे एक ऐसा रोल कर रही हैं जो कर्नाटक के गर्व से जुड़ा है
फिल्म में सनी को बतौर लीड लिए जाने से लोग कितने नाराज हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, बेंगलुरु के टाउन हाल के सामने कर्नाटक रक्षणा वेदिके संगठन के लोगों ने सनी लियोनी के खिलाफ प्रदर्शन किया. संगठन के लोगों ने सनी के पोस्टर्स जलाए और अपना विरोध प्रकट किया. इस मामले पर कन्नड़ संगठन कर्नाटक रक्षणा वेदिके का मत है कि वीरामहादेवी एक वीरांगना थीं. जबकि सनी लियोनी एक पोर्न स्टार हैं. ऐसे में एक पोर्न स्टार द्वारा वीरांगना का किरदार निभाना उनका अपमान है.फिल्म में सनी को बतौर लीड लिए जाने से लोग कितने नाराज हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, बेंगलुरु के टाउन हाल के सामने कर्नाटक रक्षणा वेदिके संगठन के लोगों ने सनी लियोनी के खिलाफ प्रदर्शन किया. संगठन के लोगों ने सनी के पोस्टर्स जलाए और अपना विरोध प्रकट किया. इस मामले पर कन्नड़ संगठन कर्नाटक रक्षणा वेदिके का मत है कि वीरामहादेवी एक वीरांगना थीं. जबकि सनी लियोनी एक पोर्न स्टार हैं. ऐसे में एक पोर्न स्टार द्वारा वीरांगना का किरदार निभाना उनका अपमान है.ये सनी के प्रति लोगों की नाराजगी ही है जिसके चलते कई कन्नड़ संगठनों ने सनी के बेंगलुरु आगमन का विरोध किया है. हालांकि सनी 3 नवंबर को बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगी ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि पुलिस ने उनकी सुरक्षा के कैसे इन्तेजाम किये हैं. आपको बताते चलें कि 5 भाषाओँ में बनने वाली इस फिल्म के प्रोमोशन के लिए सनी बेंगलुरु आ रही हैं.रानी वीरमहादेवी को कर्नाटक के अलावा पूरे दक्षिण भारत का गौरव माना जाता है.
कौन थीं वीरमहादेवी|
1525 ईस्वी में कर्नाटक के मैंगलुरु की शासक रही वीरमहादेवी के बारे में दक्षिण भारत में यही मान्यता है कि, वो भारत की पहली स्वतंत्रता सेनानी थीं. जिन्होंने अपने राज्य को पुर्तगाली आक्रमणकारियों से न सिर्फ बचाया बल्कि मजबूती के साथ उनका मुकाबला किया और उन्हें 6 बार हराया. बताया जाता है कि वीरामहादेवी चौटा राजवंश की रानी थी. चौटा राजवंश मातृसत्तात्मक राज्य था अतः वीरमहादेवी राज्य की रानी बनीं. वीरमहादेवी कर्नाटक की लोकगाथाओं में रची बसी हैं.
यदि कर्नाटक के इतिहास पर नजर डालें तो मिलता है कि इनके पति ने पुर्तगालियों से हाथ मिलाया जिस कारण इन्होंने अपने पति तक को छोड़ दिया. वीरामहादेवी के पति लक्ष्मप्पा अरसा को भी कर्नाटक का वीर योद्धा माना जाता है. मगर लक्ष्मप्पा को पुर्तगालियों को टैक्स देने और उनका प्रभाव स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं थी, जबकि वीरामहादेवी स्वतंत्रता चाहती थीं. अतः इन्होंने जो भी संघर्ष किया वो स्वतंत्रता पाने के लिए किया.
पति के विपरीत वीरामहादेवी का कहना था कि जब राज्य हमारा है तो हम किस अधिकार से इन विदेशियों को टैक्स दें? रानी के इस बर्ताव को पुर्तगालियों ने बड़ी ही गंभीरता से लिया. उन्होंने वीरामहादेवी को नोटिस भेजा कि या तो वो टैक्स दें अन्यथा युद्ध करें. कर्नाटक की भूमि पर मान्यता है कि वीरामहादेवी वो अंतिम भारतीय योद्धा थी जिन्हें अग्निबाण चलाना आता था.
बताया जाता है कि जिस समय युद्ध हुआ वीरामहादेवी अपनी छोटी सेना लेकर पुर्तगाली सेना पर टूट पड़ीं. उन्होंने पुर्तगालियों को गाजर मूली की तरह काट डाला और बुरी तरह परास्त किया. पुर्तगालियों से वीरामहादेवी के कई युद्ध हुए बाद में अपने पति द्वारा की गई गद्दारी के कारण इन्हें पुर्तगालियों से हार का सामना करना पड़ा.
बनवाए कई मंदिर
एक वीर योद्धा होने के साथ साथ वीरामहादेवी काफी धार्मिक भी थी. यदि कर्नाटक के इतिहास पर नजर डालें तो मिलता है कि इन्होंने कर्नाटक में कई सुन्दर और आलिशान मंदिरों का निर्माण कराया है.
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