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 चौपाल में गरजे विद्युत कर्मी,बिजली अधिनियम 2018 को बताया कर्मचारी विरोधी।

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चौपाल में गरजे विद्युत कर्मी,  बिजली अधिनियम-2018 को कहा कर्मचारी विरोधी

विपिन कुमार

चौपाल 8  जनवरी  *न्यूज़टुडे हिमाचल* :  बिजली कानून अधिनियम-2018 के खिलाफ मंगलवार को प्रदेशभर में धरने-प्रर्दशन के साथ साथ चौपाल में भी धरना प्रदर्शन किया गया। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्टीसिटी बोर्ड इम्पलाईज यूनियन की चौपाल ईकाई ने भी डीविजल कार्यालय से लेकर चौपाल बाजार तक रैली निकाली और सरकार के इस निर्णय को कर्मचारी विरोधी करार दिया। इस मौके पर अपने संबोधन में यूनियन के महासचिव जयदत्त ने कहा कि  संशोधन कानून के प्रभाव में आने से बिजली बोर्ड विघटित होकर सभी कार्यो को अलग-अलग करने के साथ वितरण के कार्य को छोटी-छोटी कंपनियों में बाटा जाना तय है। उन्होंने कहा कि राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए यहां के दूरदराज क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की लागत औद्योगिक क्षेत्र की तुलना में काफी ज्यादा है। इसे अभी विद्युत दरें तय करते समय क्रॉस सबसिडी को कम किया जा रहा है। कानून बनने से दूरदराज क्षेत्रों में बिजली दरें आपूर्ति के हिसाब से तय होंगी। इससे ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। उन्होंने कहा कि  बिजली मापने के लिए जगह-जगह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों व बिजली के फीडर अलग-अलग करने का खर्च भी उपभोक्ताओं को वहन करना पड़ेगा। औद्योगिक और अन्य राजस्व वाले क्षेत्र निजी हाथों में चले जाएंगे। इसका सीधा असर प्रदेश के घरेलू उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। बड़े उपभोक्ताओं को उनकी सुविधा अनुसार बिजली मिलेगी। उपभोक्ताओं की विद्युत आपूर्ति में दी जा रही सेवाएं प्रभावित होंगी और विद्युत दरें बढ़ेंगी। इस अवसर पर दीप राम नेगी, हरी सिंह, ज्ञान चंद ठाकुर, गोपी सिंह, जय दत्त शर्मा, जोगिन्दर, रामदत्त, आदि उपस्थित थे।

मॉडल अभी तक  रहा फेल।

कर्मचारी नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार सरकारी बिजली कंपनियों को नष्ट करने तथा निजी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए कदम आगे बढ़ा रही है लेकिन यूनियन ऐसा नहीं होने देगी। बिजली बोर्ड का विघटन और छोटी-छोटी कंपनियां बनाने का मॉडल अभी तक फेल रहा है। बोर्ड के विघटन से न सिर्फ कर्मचारियों और पेंशनर्स को बुरे दिन देखने पड़ेगें बल्कि सरकार को भी हजारों करोड़ो  रुपए  का घाटा उठाना पड़ेगा।

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