पंजाब के लुधियाना शहर में प्राउटिष्ट ब्लॉक, इंडिया ने रैली, अमिरी रेखा तय करने की मांग।
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पंजाब के लुधियाना शहर में प्राउटिष्ट ब्लॉक, इंडिया ने रैली, अमिरी रेखा तय करने की मांग।
न्यूज़ टुडे बीयूरो 7 अक्टूबर लुधियाना: 6 अक्टूबर को पंजाब के लुधियाना शहर में प्राउटिष्ट ब्लॉक, इंडिया ने एक भव्य रैलीका आयोजन किया, जिसके माध्यम से पार्टी ने मांग की कि देशभर में अमीरी रेखा लागू की जाए अर्थात धन के असीमित संग्रह पर रोक लगाई जाए। देश में धन सीमित है, अतः इसके असीमित संग्रह की छूट नही दी जा सकती।
साथ ही पार्टी ने मांग की कि कृषि को उद्योग का दर्जा दिया जाए। खेती को उद्योग की तर्ज पर पुनर्गठित कर उसे लाभकारी बनाया जाए।
रैली का आयोजन पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतिम दिन किया गया, जिसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, यूपी, बिहार, ओडिशा, कर्नाटक और महाराष्ट्र से आए कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस अवसर पर पार्टी की पंजाब प्रदेश समिति का विस्तार भी किया गया।
पीबीआई का संक्षिप्त परिचय:
पीबीआई भारतीय चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत एक राजनैतिक दल है, जो दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि राज्यों में काम कर रहा है।
पीबीआई का मानना है कि 1947 में प्राप्त राजनैतिक आज़ादी वास्तविक आज़ादी नही है। असली आज़ादी है आर्थिक आज़ादी, यानी प्रत्येक नागरिक को देश की संपत्ति में से उसका हिस्सा मिले। प्रत्येक व्यक्ति को उचित रोज़गार के माध्यम से उसकी ज़रूरत का भोजन, वस्त्र,आवास,चिकित्सा और शिक्षा मिलने की गारंटी हो। गरीब,अशिक्षित और शोषित जनता के लिए आज़ादी के कोई मायने नही हैं। लेकिन पिछले 70 सालों में सरकार चाहे जिसकी हो, गरीब गरीब और अमीर अमीर होता जा रहा है। आज देश की 80 प्रतिशत सम्पति देश के मात्र 10 प्रतिशत लोगों के हाथ है। 60 प्रतिशत से अधिक सम्पति 1 प्रतिशत से भी कम लोगों के हाथों में जमा हो गई है। पिछले वर्ष तो देश की कुल आमदनी का 72% से अधिक 1% लोगों को जेब में चला गया। इसका अर्थ है कि देश की ज्यादा से ज्यादा सम्पति कम से कम लोगों के हाथों में सिमटती जा रही है। यह देश के संविधान की धारा 39-सी के भी खिलाफ है, जिसके अनुसार देश की संपत्ति कुछ लोगों के हाथों में ही सिमटनी नही चाहिये।
दूसरी ओर, देश के 90 प्रतिशत परिवार महीने के 10 हज़ार रुपये से कम कमाते हैं। रोज़ 3000 बच्चे भूख और कुपोषण से मारे जाते हैं। 2013 से, हर साल औसतन 11000 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। इसका एकमात्र कारण है कि सरकारें बदल रही है, पार्टीयां बदल रहीं हैं, लेकिन नीचे की व्यवस्था नही बदल रही है। इन 70 सालों में, उत्पादन, वितरण, कृषि, उद्योग, वाणिज्य, व्यापार, बैंकिंग, कर व्यवस्था आदि में कोई बदलाव नही हुआ है। सरकार किसी की भी हो, देश के संसाधनों पर मुट्ठीभर लोगों का ही कब्जा है।
हमें तथाकथित राजनैतिक लोकतंत्र मिला है, परंतु आर्थिक लोकतंत्र नही। हमें वोट का अधिकार मिला है लेकिन रोज़गार की गारंटी नही। हमारा लोकतंत्र जिस व्यवस्था पर आधारित है, वह है भोग, लालच और भ्रष्टाचार पर आधारित पूंजीवादी व्यवस्था, जिसमें मुठ्ठीभर लोग करोड़ो कमा रहे हैं और करोड़ों लोग दाने-दाने के लिए मोहताज़ हैं।
इसलिए पीबीआई का मानना है कि सिर्फ सत्ता बदलने से कुछ नही होगा। हमें अर्थव्यवस्था को विकेन्द्रीकृत करना होगा। अर्थशक्ति या धनशक्ति को जन-जन तक पहुंचाना होगा, और राजनैतिक शक्ति को नैतिकों के हाथ में केंद्रित करना होगा।
पूँजीवाद, साम्यवाद (कम्युनिज्म) और मिश्रित अर्थव्यवस्था हमारी समस्याओं को नही सुलझा पाए हैं।
इन व्यवस्थाओं से परे, पीबीआई ‘प्रउत’ नामक एक विस्तृत समाजार्थिक सिद्धांत पर आधारित है। प्रउत यानी ‘प्रगतिशील उपयोग तत्त्व’। अंग्रेजी में PROUT: Progressive Utilization Theory.
प्रउत सम्पूर्ण व्यवस्था को बदलने के सिद्धान्त, नीतियां और योजनाएं देता है। जो बताता है कि कैसे कॄषि, उद्योग, वाणिज्य, व्यापार, बैंकिंग, कर व्यवस्था आदि को पुनर्गठित कर वास्तविक आज़ादी यानी आर्थिक आज़ादी लाई जा सकती है।
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