करसोग में अधिकारियों के बार-बार तबादले,विकास कार्यों पर पड़ रहा है विपरीत प्रभाव।
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करसोग में अधिकारियों के बार-बार तबादले,विकास कार्यों पर पड़ रहा है विपरीत प्रभाव।
राज सोनी
न्यूज़ टुडे हिमाचल 3 दिसंबर करसोग: मुख्य मंत्री के गृह जिला मंडी के तहत करसोग उपमंडल में आईपीएच डिवीजन से बार बार बदले जा रहे अधिशाषी अभियंता लोगों के बीच में चर्चा का विषय बन गया है। सरकार ने डिवीजन में 5 महीने पहले ही कार्यभार संभालने वाले एक और अधिकारी को तबादला आदेश का आर्डर थमा दिया है। इस तरह से पिछले 33 महीनों में सरकार 5 अधिशाषी अभियंताओं का तबादला कर चुकी है। ऐसे में अब तक हुए तबादलों के मुताबिक यहां 7 महीने से अधिक कोई अधिकारी नहीं टिक पाया है। जाहिर तौर पर इसका सीधा असर विकासकार्यों पर पड़ रहा है। जिसका खामियाजा करसोग की जनता को भुगतना पड़ रहा है। यही नहीं लगातार हो रही इन ट्रांसफरों से लोगों के बीच में सरकार की छवि पर सवाल उठना शुरू हो गए हैं।
3 सालों में बदले गए 5 अधिकारी:
करसोग आईपीएच डिवीजन में तबादलों के रिकॉर्ड पर गौर करें तो 1 फरवरी 2017 से लेकर नवम्बर 2019 तक कि अवधि में 5 अधिकारी बदले जा चुके हैं। इसमें एनपी परमार ने 1 फरवरी 2017 को अपना कार्यभार संभाला था, इनका महज 19 दिनों में ही 21 फरवरी 2017 को तबदला कर दिया गया। इस तरह उनके स्थान पर उसी दिन अनिल वर्मा ने जॉइन किया था, उनका भी एक साल बाद 28 फरवरी 2018 को तबादला कर दिया गया। इसके बाद एनपी परमार उसी दिन अपना कार्यभार ग्रहण किया था जिनका तबादला भी सिर्फ आठ महीने में ही 1 अक्टूबर 2018 को हो गया। इसके बाद संदीप चौधरी ने उसी दिन 1 अक्टूबर 2018 को अपना पदभार संभाला, लेकिन इनको भी आठ महीनों में 3 जून 2019 को बदल दिया गया। इसके बाद नए अधिशाषी अभियंता विवेक हाजरी ने 4 जून 2019 को कार्यभार संभाला था, इनका भी पांच महीने में ही 27 नवंबर 2019 तबादला कर दिया गया है।
तबादलों का व विकासकार्यों पर विपरीत असर:
करसोग में थोड़े थोड़े अंतराल में हो रहे अधिकारियों के तबादले का सीधा असर विकासकार्यों पर पड़ रहा है। वह ऐसे कि जितने में एक अधिकारी डिवीजन के तहत पड़ने वाले क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति सहित यहां चल रहे कार्य को समझ पाते हैं, उससे पहले ही उनको अन्य स्थान के लिए तबादला कर दिया जाता है। ऐसा भी देखने में आया है कि अधिकारी को फाइनैंशल ईयर के अंत में ही बदल दिया गया। जिससे ठेकेदारों सहित अन्य फाइनेंस से जुड़े अन्य मामले भी प्रभावित होते हैं। इस कारण विकासकार्य रुकने से आखिरकार जनता को ही खामियाजा भुगतना पड़ता है।
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