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बारिश ने योग क्लास में खलल डाला तो घर के खाली कमरे में लगाई योग की क्लास। वैश्विक महामारी कोरोना की निराशा के बीच दलाश  की अनीता योग से लोगों के बीच जगा रहीं है आशा।

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बारिश ने योग क्लास में खलल डाला तो घर के खाली कमरे में लगाई योग की क्लास। वैश्विक महामारी कोरोना की निराशा के बीच दलाश  की अनीता योग से लोगों के बीच जगा रहीं है आशा।

दिलाराम भारद्वाज 

न्यूज़ टुडे हिमाचल बीयूरो (आनी ) 2 जून: वैश्विक महामारी कोरोना की निराशा के बीच दलाश के साथ लगते गंच्छवा गांव की अनीता योग से लोगों के बीच आशा जगा रहीं है। बीमारी जहां लोगों को मानसिक तनाव दे रही है वहीं अनीता सुबह सुबह योग की क्लास लगाकर गांव की महिलाओं और बच्चों को साकारात्मक सोच की ओर ले जाने के लिए प्रयासरत है। अनीता की योग क्लास गर्मियों में सुबह 4.30 बजे शुरु हो जाती है। गांव की 15 से 20 महिलाएं और बच्चे अनीता की योग क्लास को पूरे समपर्ण के साथ ज्वाइन करते हैं और ये सिलसिला करीब 4 साल से लगातार जारी है। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद योग क्लास जारी रखने की चुनौती अनीता के सामने थी लेकिन उन्होंने महिलाओं और बच्चों को इसके लिए प्रेरित किया और लॉकडाउन में योग क्रियाओं को जारी रखा। इतना ही नहीं सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को फॉलो करते हुए अनीता ने योग सीखाना और लोगों को तनाव से दूर रखने के लिए प्रयास किया, जिसमें वह सफल हुईं। आजकल भी अनीता की योग क्लास सुबह 4.30 या 5 बजे शुरु हो जाती है।

अनीता घर के साथ लगते आंगनबाड़ी सेंटर के प्रांगण में योग क्लास लगाती हैं। इसके चलते कई बार बारिश आदि होने के कारण योग क्लास में खलल पड़ जाता है। इन दिनों हो रही लगातार बारिश से भी योग क्लास में ऐसा ही व्यवधान देखना को मिला, लेकिन अनीता का योग के प्रति इतना लगाव है कि उन्होंने घर के खाली कमरे में योग क्लास लगाना शुरु कर दी। इस तरह बारिश भी योग क्लास को नहीं रोक पाई।
अनीता स्वंय करीब 10 साल से योग कर रही है। करीब 4 साल पहले उन्होंने सोचा कि क्यों न योग के लाभ गांव के अन्य लोगों तक पहुंचाएं जाएं। इसी सोच ने अनीता को प्रेरित किया और महिलाओं और बच्चों को इसके प्रति प्रोत्साहित किया। अनीता की सोच रंग लाई और अनीता की योग क्लास में विशेष तौर पर बच्चे और महिलाएं रोजाना योग के लाभ ले रहे हैं। अनीता बताती हैं कि कॉलेज के समय उनके कॉलेज में योग की क्लास लगती थी, उसके बाद उनका योग और प्राणायाम के प्रति लगाव बढ़ा। दलाश के शिक्षक आचार्य विनोद ने इस कार्य के लिए उनको प्रेरित किया। इसके साथ ही उनके गांव के युवा और योग में पारंगत अनिल आर्य ने भी उन्हें प्रोत्साहित किया।
अनीता का कहना है कि वह उनकी क्लास में आने वाले महिलाओं और बच्चों को योग और प्राणायाम की प्रेक्टिस हर रोज करवाती हैं और इसका महत्व भी उनको बताती हैं। और वह छोटी मोटी दिक्कतों के साथ जीना सीख जाती हैं। ऐसे में योग उनकी सहायता करता है। इसी तरह बच्चों को योग और प्राणायाम करवारकर उनको बचपन से ही स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। कोरोना के समय में योग और प्राणायाम और भी जरूरी है। क्योंकि इस बीमारी के कारण सबसे ज्यादा मानसिक परेशानियां पैदा हो रही हैं, जिससे निपटने में योग और प्राणायाम सक्षम है। अनीता का कहना है कि इस महीने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी है। केंद्र और राज्य सरकारें योग को समय की जरूरत को देखते हुए बढ़ावा दे रही हैं, इसलिए हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम योग और प्राणायाम के महत्व को समझकर इसे अपनाएं और स्वस्थ जीवन जीएं।

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