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सरकार के विकास के दावों की खुली पोल, बजट निराशाजनक। प्रदेश की विकास दर माइनस -6.2 प्रतिशत तक लुढ़की,  धर्मशाला का इंवेस्टरमीट बना सरकार की विफलताओं का स्मारक: प्रेम डोगरा।

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सरकार के विकास के दावों की खुली पोल, बजट निराशाजनक।

प्रदेश की विकास दर माइनस -6.2 प्रतिशत तक लुढ़की, 

धर्मशाला का इंवेस्टरमीट बना सरकार की विफलताओं का स्मारक: प्रेम डोगरा।

गिरीश ठाकुर

न्यूज़ टुडे हिमाचल 9 मार्च चौपाल: धराशाही हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जयराम सरकार के बजट से जनता को काफ़ी उम्मीद थी लेक़िन वर्तमान बजट से जनता को घोर निराशा ही हाथ लगी हैं।यह बात प्रदेश महासचिव युवा कांग्रेस प्रेम डोगरा ने ज़ारी प्रेस विज्ञप्ति में कही है। उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने प्रदेश सरकार के पिछले तीन वर्षो के विकास के बड़े-2 दावों की पोल खोलकर रख दी हैं। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश की विकास दर माइनस -6.2 प्रतिशत तक लुढ़की हैं तथा हिमाचल में प्रति व्यक्ति आय में भी कमी आई हैं। भाजपा सरकार ने 3 वर्षों में ₹15000 करोड़ का ऋण लिया हैं जिससे प्रदेश पर ऋण ₹65000 करोड रुपए पहुँच गया है। प्रदेश सरकार वित्तीय प्रबंधन में विफ़ल रही हैं। गौरतलब हैं कि प्रदेश में प्रति व्यक्ति पर लगभग ₹70000 हज़ार का ऋण हैं। प्रदेश की सकल घरेलू आय में प्रमुख भूमिका निभाने वाले कृषि व बाग़वानी क्षेत्र की बजट में अनदेखी हुई हैं। कृषि और बाग़वानी क्षेत्र की विकास दर में पिछले एक वर्ष से गिरावट देखने को मिली हैं। नए सीए स्टोर, प्रोसेसिंग प्लांट के बारें में बजट में कोई प्रावधान नहीं जबकि प्रदेश में 1% कृषि व बाग़वानी उत्पादों को स्टोर करने की सुविधा उपलब्ध हैं। प्रेम डोगरा ने कहा कि बजट में जिन फ़ल प्रस्सकरण केंद्र, सेब पैकिंग केंद्र का ज़िक्र किया गया हैं वो पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में विश्व बैंक से वित्तपोषित ₹1134 करोड़ के बाग़वानी प्रोजेक्ट के तहत स्वीकृत योजनाएं हैं जिसमें भाजपा सरकार की कोई भूमिका नही हैं। धर्मशाला का इंवेस्टरमीट सरकार की विफलताओं का स्मारक बन कर रह गया हैं। सरकार ने 700 एमओयू के साथ-साथ 1 लाख करोड़ के निजी निवेश की बात कही थी जो कि मात्र कागज़ो तक ही सिमट कर रह गई हैं। बजट में रोजगार सृजन बारें कोई विवरण नही हैं। प्रदेश में 13 लाख बेरोजगार हैं जबकि प्रदेश की बेरोजगारी दर पूरे देश में सर्वाधिक हैं। प्रदेश के विभिन्न विभागों में 75000 कार्यमूलक पद रिक्त पड़े हुए हैं। एसएमसी अध्यापकों के नियमितीकरण के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई। कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाओं की अव्यवस्थाएं किसी से छुपी नहीं है। स्वास्थ्य सेवाओं के हाल इतने बदतर हैं कि कैबिनेट मंत्री व कद्दावर भाजपा नेता भी सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल चुके हैं। सरकार को चाहिए था कि स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए कदम उठाती इसके विपरीत प्रदेश सरकार ने दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में खुले हुए स्वास्थ्य केंद्रों को कोरोना काल में बंद करवाने का जनविरोधी निर्णय लिया। बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र को नजरअंदाज किया गया। कोरोना काल में सबसे अधिक पर्यटन उद्योग प्रभावित हुआ हैं। पर्यटन उद्योग का प्रदेश की जीडीपी में 13% योगदान होने के बावजूद भी इसे नजरअंदाज किया गया। सरकार को चाहिए था कि पर्यटन उद्योग को पटरी पर लाने के लिए बजट में प्रावधान करती। जिला शिमला को एक बार फिर नजरअंदाज किया गया। वर्ल्ड बैंक द्वारा वित्त पोषित फेस-2 के अंतर्गत जिला शिमला को सड़क योजनाओं से वंचित रखा गया। 69 राष्ट्रीय राजमार्गो के बारें में कोई ज़िक्र नहीं जो कि जुमला साबित हो चुके हैं। प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थिति व सामरिक दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण सुरंगों के निर्माण के लिए सरकार ने बजट में कोई पहल नही की। केंद्र और प्रदेश सरकार ने पैट्रोल और डीज़ल पर लगने वाले कर को आय का मुख्य साधन बना दिया हैं। केंद्र सरकार पैट्रोल व डीज़ल पर ₹ 33 रुपये एक्साइज डयूटी वसूल रही हैं जिससे इनके दाम ₹100 रूपये का आंकड़ा छू रहे हैं और मंहगाई चरम पर पहुँच गई हैं। वहीं प्रदेश सरकार भी वैट में कटौती न कर आम जन को राहत से वंचित रख रही हैं। घरेलू सिलेंडर के दामों में पिछले 3 महीने में ₹225 की अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। खाद्य वस्तुओं के दाम आम जनता की पहुँच से बाहर होते जा रहे हैं। प्रेम डोगरा ने अंत मे कहा कि डबल इंजन की सरकार का बजट कोरोना जैसे संकट काल में भी आम जनता को राहत देने में विफ़ल रहा ।

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