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मास्क पहनने से आपको भी उलझन होती है क्या?

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मास्क पहनने से आपको भी उलझन होती है क्या?

नरविजय यादव
ओमिक्रॉन की वजह से देश में तीसरी लहर आने का खतरा गहरा रहा है। कहा जा रहा है कि फरवरी में यह अपने चरम पर पहुंच सकती है। राज्य सरकारों ने फिर से पाबंदियां लगानी शुरू कर दी हैं। सरकार की एडवायजरी में सबसे अहम सलाह है मास्क पहनने की। परंतु कितने लोग हैं जो मास्क पहनने का नियम ठीक से फॉलो करते हैं। अधिकांश को तो लगता है कि मास्क पहनने से दम घुटता है। सैल्यूट है उन चिकित्सा कर्मियों को जो अस्पताल में पूरे समय मास्क और सुरक्षा किट पहने रहते हैं। उन्हें तो बल्कि डबल मास्क लगाना पड़ता है। पिछले साल मास्क को लेकर जागरूकता और सख्ती बढ़ी तो लोगों ने खास तौर पर महिलाओं ने फैशनेबल मास्क पहनने शुरू कर दिये। खूबसूरत दिखने वाले ये मास्क आमतौर पर कपड़े के बने होते हैं। परंतु कोरोना को रोकने में ऐसे मास्क कितने कारगर होते हैं, इसको लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर का कहना है कि अगर दोहरे या तिहरे कपड़े के बने हों, तब तो ठीक है, वरना सिंगल लेयर वाले कपड़े के मास्क काम के नहीं होते हैं। कपड़े से बने फैशनेबल मास्क मेडिकल शर्तें पूरी नहीं करते, जबकि एन95 रेस्पिरेटर मास्क बनाने वालों को यह सुनिश्चित करना होता है कि वो 95 प्रतिशत कणों को फिल्टर करता हो।
‘एकदेश’ संस्था ने भारत के 18 शहरों में एक सर्वेक्षण किया। ‘अपनामास्क’ नामक नामक इस रिपोर्ट के अनुसार, 90 प्रतिशत भारतीयों को मास्क की अहमियत पता है, लेकिन मास्क पहनने की जहमत सिर्फ 44 प्रतिशत लोग ही उठाते हैं। मास्क न पहनने वालों का तर्क अक्सर यह रहता है कि उन्हें इससे उलझन होती है। 50 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। 45 प्रतिशत को यह गलतफहमी है कि वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं इसलिए उन्हें मास्क की जरूरत नहीं है। 26-35 आयु वर्ग के युवा बड़े निश्चिंत मिले, उन्हें लगता था कि मास्क की जरूरत ही क्या है। 36-55 साल आयु वर्ग के लोग मास्क को लेकर अधिक सजग दिखे। 50 प्रतिशत लोग घर से बाहर रहने पर पूरे समय मास्क पहने रहते हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं मास्क को ज्यादा अच्छे से पहनती हैं। मोटे तौर पर कह सकते हैं कि आधा हिंदुस्तान मास्क नहीं पहनता और बाकी आधा आधे-अधूरे तरीके से पहनता है।

दुनिया भर के विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि फेस मास्क पहनने से लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सकती है और कोविड फैलने की गति को धीमा किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना वायरस खांसते, छींकते या बोलते समय सांस की बूंदों के जरिए फैल सकता है। मास्क पहना होने पर इन बूंदों को मुंह या सांस में पहुंचने से रोका जा सकता है। परंतु, मास्क कितना भी अच्छा क्यों न हो, वह कारगर तभी होगा, जब उसे सही ढंग से पहना जाये। मास्क इतना बड़ा अवश्य होना चाहिए कि वह मुंह और नाक को ढंक सके। उसकी बनावट ऐसी हो कि मुंह के आगे पर्याप्त स्थान रहे, ताकि सांस लेने और बोलने में असुविधा न हो। मास्क के अगले हिस्से को कभी हाथ से नहीं छूना चाहिए। उतारने के लिए कान के पीछे लगी डोरी पकड़नी चाहिए, न कि पूरा मास्क। पहनने से पहले हाथों को साबुन से धोना या सेनिटाइज करना अच्छी आदत है।

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