वाशिंगटन एप्पल पर आयात शुल्क घटने से हिमाचल में राजनीति तेज।

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न्यूज़ टुडे हिमाचल ब्यूरो शिमला:
कर्ण नंदा ने कहा कि साल 2018 में इसे लेकर सब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संधि हुई थी, जिसे वापस लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह शुल्क सिर्फ सेब के लिए ही नहीं बल्कि सभी वस्तुओं के लिए है।
कर्ण नंदा ने दावा किया कि बाहरी देश से आने वाला सेब कम से कम 70 रुपए प्रति किलो बिकेगा। इसे हिमाचल प्रदेश के सेब को कोई नुकसान नहीं होगा। करन नंदा ने कांग्रेस से कहा कि सत्ता में आने से पहले एपीएमसी एक्ट को लेकर कांग्रेस के बड़े-बड़े दावे किए थे, बागवानों से वादा किया गया था कि बागवानी वाले इलाकों में कोल्ड स्टोरेज वैन मिलेंगी। अब उसका क्या हुआ?
उन्होंने कहा कि आज भी आढ़तियों के पास बागवान का पैसा फसा हुआ रहे हैं। सरकार को इस बात पर जवाब देना चाहिए, सरकार केवल जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है, जो सरासर गलत है। भारतीय जनता पार्टी का तर्क है कि रीटेलिएटर टैरिफ घटाने से अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंध और अधिक सुदृढ़ होंगे।
यह है पूरा मामला
दरअसल, 2018 में स्टील और एल्युमीनियम पर अमेरिका द्वारा आयात शुल्क लगाए जाने पर भारत सरकार ने अमेरिकी एप्पल समेत 28 वस्तुओं पर 20 प्रतिशत रीटेलिएटरी टैरिफ (प्रतिशोधात्मक शुल्क) लगाया था, जिससे अमेरिकी एप्पल पर आयात शुल्क 50 से बढ़कर 70 फीसदी हो गया था। अब पीएम मोदी ने अमेरिकी यात्रा के दौरान रीटेलिएटरी टैरिफ को वापस लेने का निर्णय लिया है, जो आने वाले 90 दिनों के भीतर लागू हो जाएगा। साल 2017 में भारत और अमेरिका के बीच 120 मिलियन डॉलर का कारोबार हुआ था। शुल्क में बढ़ोतरी के साथ वाशिंगटन एप्पल के आयात में काफी गिरावट आई, अब वाशिंगटन एप्पल पर आयात शुल्क घटने से कारोबार में बढ़ोतरी होगी।
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