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“समय दस से बारह वाला, हर घर बनें पाठशाला” प्रदेश में स्कूली बच्चों के अभ्यास व सीखने की क्षमता की निरंतरता को बनाए रखने के लिए प्रदेश सरकार आरम्भ करेगी यह कार्यक्रम।

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“समय दस से बारह वाला, हर घर बनें पाठशाला”

प्रदेश में स्कूली बच्चों के अभ्यास व सीखने की क्षमता की निरंतरता को बनाए रखने के लिए प्रदेश सरकार आरम्भ करेगी यह कार्यक्रम।

गिरीश ठाकुर

न्यूज़ टुडे हिमाचल बीयूरो 3 अप्रैल: कोविड-19 महामारी के कारण लाॅकडाउन के तहत स्कूल बंद होने की स्थिति में प्रदेश में स्कूली बच्चों के अभ्यास व सीखने की क्षमता की निरंतरता को बनाए रखने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा ‘समय दस से बारह वाला, हर घर बनें पाठशाला’ कार्यक्रम आरम्भ किया जा रहा है। शिक्षा, विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज यहां यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में इसके तहत शिक्षा विभाग द्वारा दैनिक डिजिटल शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी, जो शिक्षकों के माध्यम से छात्रों को सम्प्रेषित की जाएगी। प्रदेश में सभी छात्र प्रातः 10 बजे से 12 बजे के बीच सीखने और अभ्यास करने में अपना समय बिताएंगे।

उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को शैक्षणिक वीडियो व अभ्यास के माध्यम से कार्यक्रम को संचालन किया जाएगा। इस संबंध में शिक्षा विभाग के खण्ड व जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी। शिक्षक प्रतिदिन के आधार पर बच्चों के अभिभावकों के व्हट्सएप गु्रप पर इस सामग्री को सांझा करेंगे, जोकि छात्रों को मनोरंजक व आकर्षित गतिविधियों और कहानियों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करेंगे।

उन्होंने कहा कि छात्र अभ्यास के माध्यम से वीडियो में दिखाई गई बातों का अभ्यास कर पाएंगे तथ व्हट्सएप के तहत अपने शिक्षकों से सही उत्तर व स्पष्टीकरण प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत साक्षरता और संख्यात्मकता के साथ-साथ दि टीचर ऐप पर शिक्षा शास्त्र पर नवीन शिक्षण विधियों के संबंध में सूचनात्मक वीडियो पाठ्यक्रमों की सामग्री योजना भी शिक्षकों के लिए बनाई जाएगी, जो कि शिक्षकों को इस अवधि के दौरान अपनी रचनात्मकता व कौशल को विकसित करने में मदद करेगा।

उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम छुट्टियों के दौरान छात्रों के सीखने के स्तर में गिरावट को रोकेगा बल्कि छात्रों में रूचि पैदा करके अध्ययन में व्यस्त रखने के लिए भी कारगर साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से छुट्टी के दौरान छात्रों के अभ्यास व पुर्नावृति कमी के चलते बच्चों के सीखने की क्षमता की निरंतरा बनी रहेगी।

 

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