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चालानों में व्यस्त पुलिस,नशा माफिया की लगी है मौज।अर्की के दाड़लाघाट में सरेआम स्कूली छात्रों की गुंडई ,प्रशासन आंखे मूंदे।

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चालानों में व्यस्त पुलिस,नशा माफिया की लगी है मौज।अर्की के दाड़लाघाट में सरेआम स्कूली छात्रों की गुंडई ,प्रशासन आंखे मूंदे।

कृष्ण रघुवंशी

न्यूज़ टुडे हिमाचल 22 दिसंबर अर्की: पुलिस स्टेशन अर्की के अंतर्गत आने वाली ज्यादातर पंचायतों में लगभग 5 से 6 महीनों से खुलकर अवैध शराब,चरस व अन्य नशीले पदार्थो का धंधा पूरे जोर शोर से चल रहा है। लेकिन अर्की पुलिस के आलाधिकारी जाने किस कारण आंखे मूंदे हुए है। जबकि क्षेत्र के बच्चे बच्चे को इस सभी ठिकानों का पता है। तो यह कहना गलत होगा कि स्थानीय पुलिस के अधिकारियों को इस नशा माफियाओ के बारे में जानकारी नही होगी। यकीन उसके बावजूद अर्की की ज्यादातर सभी पंचायतों में सरेआम अवैध रूप से शराब,चरस,ड्रग्स व अन्य नशीले पदार्थ बिक रहे हैं। और यह धंधा लगभग 5 से6 महीने के अंदर ज्यादा जोर पकड़ गया है। एवम इन सबकी की जद में केवल बालिग लोग ही नही नाबालिग बच्चे व लडकिया तक आ गई है। परंतु पुलिस कुछ भी करने में नाकाम साबित हो रही है। लेकिन कुछ अधिकारी लोगो को दिखाने तथा बड़े अधिकारियों की गुड़ बुक में नाम दर्ज करवाने के लिए पुराने शातिर अवैध नशा बेचने वालों पर छापा मार कर दो चार पेटियों या कुछ बोतल या अन्य मामूली नशे के सामान की बरामदगी दिखा कर कुछ वाह वाही लूट रहे है। जबकि बड़े मगरमच्छों पर वह जाने किन कारणों से हाथ नही डाल रहे। अगर स्थानीय लोगो की माने तो कुछ शराब के सौदागर ऐसे है। जिनके पास पिकअप भर कर शराब आती हैं।और वो खुलेआम बेचते है लेकिन जाने अन्दर खाते उनकी किस्से क्या सांठगांठ है। कि उन पर कोई कार्यवाही नही हो पाती है। लोगो का कहना है। पुलिस के अनुसार सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखने की शर्त पर यदि इस बारे में किसी अधिकारी को सूचित करने की कोशिश करते है तो यह सूचना अवैध रूप से नशा बेचने वालों के पास तुरन्त पहुंच जाती है। पश्चात छापामारी की प्रक्रिया के दौरान या तो कुछ मिलता नही या फिर उतना नशा ही मिलता है जिससे अवैध नशा विक्रेता को के खिलाफ मामूली कार्रवाई ही होती है। पश्चात जिस व्यक्ति ने सूचना दी होती है। उसे विभाग के कुछ अधिकारियों व अवैध नशा विक्रेताओं से धमकियां मिलने लग जाती है। जोकि यहाँ तक छाती ठोक कर कहते है कि उनके पुलिस के कुछ लोगो से बड़े मधुर सम्बन्ध है।उनका कुछ नही हो सकता है।तथा वह अपनी व पुलिस विभाग की सेफ्टी के लिए एक वर्ष में लगभग दो या तीन बार स्वयं का बहुत कम मात्रा में नशीला पदार्थ पकड़वा कर निश्चित होकर कार्य करते है। ताकि पुलिस की खानापूर्ति हो जाये व उनका कार्य निर्बाध रूप से चलता रहे। वैसे तो इस तरह की बातों पर विश्वाश नही किया जा सकता है परंतु कही अगर ऐसा है तो यह साफतौर पर पुलिस विभाग की साख पर धब्बा है। हालांकि जब भी इस बाबत पुलिस अधिकारियो से बात की जाती है तो उनका रटा रटाया जवाब होता है कि समय समय पर इन लोगो की छापेमारी कर नकेल कसी जाती है।परंतु क्या कारण है। कि वही लोग बिना किसी हिचक के पुनः अपना धंधा जोर शोर से करते है।क्योकि हर वर्ष यही लोग पुनः पकड़े जाते है। और क्योकि यह छापेमारी जोर शोर से केवल मार्च माह के नजदीक आते समय ही कि जाति है। लोगो की मांग है कि सरकार व पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों को नशा विक्रेताओं के इस प्रकार बुलन्द हौसलों को पस्त करने के लिए किसी सशक्त अधिकारी को सशक्त योजना के साथ नियुक्त करे ।ताकि देश की आने वाली पीढ़ी नशामाफ़िया के मकड़जाल में ना फंस सके। अन्यथा नशे की गिरफ्त में आकर नोजवान पीढ़ी जुर्म की ओर अग्रसर हो जाएगी।
अर्की के दाड़लाघाट में सरेआम स्कूली छात्रों की गुंडई ,प्रशासन आंखे मूंदे

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